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Toggleनीम करोली बाबा ने आरामदायक रेल यात्रा करवाई

हमेशा की तरह मेरे अभिन्न मित्र श्री शर्मा जी से एक दिन बात चल रही थी और उन्होंने अचानक ही कह दिया की अमरकंटक हो आइये | बाबाजी ने देह त्याग से पूर्व कहा था की वे अमरकंटक में जाकर रहेंगे पागल का भेस बनायेंगे और लोगों को डूंग (पत्थर ) से मारा करेंगे | बहुत दिनों से मैं जाना चाह रहा था और मुझे कहीं जाना था जहाँ से आगे अमरकंटक भी आता है | सब गूगल पे सर्च करा और एक होटल बुक करी और वापसी का टिकेट कन्फर्म नहीं था वेटिंग था |
शर्मा जी क्योंकि पत्थर खिलवाने भेज रहे थे तो मैंने कहा की आप ही कन्फर्म करा के दो और हमेशा की तरह उन्होंने कह दिया की मैं सिर्फ प्रयास करूँगा होना न होना बाबाजी की मर्ज़ी | मैंने कहा ठीक है आप प्रयास कर लेना = ये हर बार का ही रहता है |
मैं अपने बाल्यकाल के मित्र सिद्धार्थ कपूरिया के मित्र संजय पयासी जो अपना नाम संजय सैलानी लिखते हैं , उनके साथ पञ्च धरा गया | वहां हमें एक धूर्त बाबा मिले और एक बहुत ही सज्जन बाबा मिले |
वो सज्जन बाबा विगत ४० वर्षों से वहीँ पञ्च धरा में रह रहे थे और कुछ ही दिन पूर्व उनके स्थल पे चोरी हो गयी थी और उनका काफी धर्म सम्बन्धी साहित्य चोरी हो गया था |
पता नहीं क्यों उनसे बात करके मुझे कोई ख़ास श्रद्धा नहीं उत्पन्न हुई जबकि मेरे मित्र के मित्र और अब मेरे भी मित्र संजय सैलानी के अनुसार लोगों ने उनके पास शेर भालू सब बैठे देखे हैं क्योंकि वो ठेठ जंगल में एक मछरदानी में रह रहे हैं |
सीख “जीवन में आपको जब भी ऐसे संत लोग मिलें तो यथा शक्ति उनको धन दीजिये क्योंकि वो कोई अरबपति राहुल गाँधी अमिताभ बच्चन मुकेश अम्बानी नरेन्द्र मोदी अमित शाह नीरव मोदी सोनिया गाँधी नहीं बनना चाहते हैं वे सिर्फ जीवन यापन करना चाहते हैं जिस से की उनके और इश्वर के बीच में कोई नहीं आये , ये संत , संत ज्ञानेश्वर के भक्त हैं और इनके पास सिर्फ एक ही पुस्तक है “ज्ञानेश्वरी” जिसका ये सतत अध्ययन करते रहते हैं इस वन में , इनके चरणों को देखेंगे तो एक निशाँ पायेंगे जहाँ किसी जेह्रीले जंतु ने काट लिया था और ये कोमा में चले गए थे ” माँ नर्मदा ने ही इनके प्राणों की रक्षा करी | ३०० से अधिक भाषाएँ इनको इस वन में बैठे बैठे ज्ञात हुई हैं जिसका विडियो आप हमारे चैनल पर देख सकते हैं “
आते समय मैं उनको कोई दक्षिणा नहीं देकर आया | और जब हम आधे रस्ते आ गए तो मुझे मन में ग्लानी होना शुरू हुई | मैं बाबाजी से प्रार्थना करने लगा की की महाराज गलती हो गयी | और मन बहुत व्यथित हो उठा |
नीम करोली बाबा ने एक संत को सन्मार्ग दिखाया
योगी कथामृत का सस्मरण
उस भाव को मैं समझा नहीं सकता | मैं लगातार महाराज जी से प्रार्थना करता रहा की प्रभु कोई बड़ी सजा मत देना | गलती करवाने वाले भी आप ही हैं | मुझे लगातार योगी कथामृत का वो संस्मरण मन में आने लगा जहाँ वो जाते हैं एक मंदिर के सामने और शीश नहीं नवाते हैं |
जिन गुरु के पास उनको जाना होता है वो वहां बहुत देर बाद बहुत मुश्किल से पहुँच पाते हैं और जब वो गुरु जी उनको मिलते है तो पहला प्रश्न वो यही करते हैं की मंदिर के सामने तुमने नमन क्यों नहीं करा |
होता यह है की परमहंस जी जी जब उस मंदिर पे जाते हैं तो पता नहीं क्यों उनका मन नहीं करता और वे बिना नमन करे बढ़ जाते हैं | ऐसा कुछ वृत्तान्त था | और मेरे मन में लगातार वही सब घूम रहा था और अन्धेरा घुप्प हो चूका था |
वहां कोई एक आकृति के छलांग लगाने की आवाज़ आई और सैलानी महोदय ने कहा ये बाज़ है किन्तु बाद में वो बोले की कुछ और है | कुछ मिनिट बाद फिर से वही आवाज़ आई और इस समय उन्होंने कहाँ की लाइट बंद का दीजिये | हम अपने अपने मोबाइल की लाइट से ही आगे बढ़ रहे थे | खैर उस समय कुछ नहीं हुआ | जब हम होटल पहुंचे तो उन्होंने बताया की वो कोई प्रेतनी , निशाचर , आदि थी जिनका की उल्ल्लेख देवी जी के स्त्रोतों में आता हैं | मैंने हंस के टाल दिया पर उनके अनुभव के आगे मुझे मानना पड़ा की कुछ मनुष्य से हट कर था | जो चीता या बाज़ नहीं था |
maharaj ji saved my valuables. Read
घने जंगलों में भूत प्रेत पिशाच आदि सामान्य होते हैं | आपको ऐसा लगता है की मैं ठिठोली कर रहा हूँ तो आप स्वयं जाइए अनुभव कीजिये | और वैसे भे मैं झूट नहीं बोलता जहाँ तक संभव होता है |
अगले दिन मेरी यात्रा थी वापसी की और जैसा की मैंने टिकेट बताया था की कन्फर्म नहीं था , सब शर्मा जी के भरोसे था | और उन्होंने महाराज जी के भरोसे कर के रखा हुआ था |
यहाँ और लम्बा कर सकता हूँ लेकिन अभी थोड़े कम में बताता हूँ | मैं स्टेशन पहुंचा , टिकेट कन्फर्म नहीं था , और ट्रेन में कोई जगह नहीं थी भीषण गर्मी थी |
मैं ट्रेन के आने के पहले उसके प्लेटफार्म पर जाकर बैठ गया और महाराज जी से अनुनय विनय करने लगा की की इतनी सजा मत दो महाराज बैंड बज जाएगा कुछ करो |
नीम करोली बाबा ने सहायता के लिये एक विदेशी को भेजा
मैं बैठे बैठे बाबाजी से आग्रह ही कर रहा था की एक विदेशी व्यक्ति मेरे सामने से निकला और मुझे देख कर उसने कहाँ और भइय्या कैसे हैं , मैंने भी कहा बढ़िया और हमारी कुछ बातचीत हुई | वो उसी ट्रेन से दिल्ली आ रहे थे |
मैंने उनसे कहा की मेरा टिकेट कन्फर्म नहीं है और आप टिकेट देखने वाले से बोल देंगे तो मैं आपके साथ आपके डब्बे में जा पाऊंगा और मुझे एक बड़ी परेशानी से बचना संभव हो जाएगा |
उन्होंने कहा की ठीक है आप आई जाइएगा | और मैं मन ही मन बाबाजी का धन्यवाद करने लगा की प्रभु महाराज तुमसे बड़ा कोई नहीं है | मदद भी भेजी तो किसी विदेशी की !!!

रेल आई और हम दोनों उसमें सवार हो गए | टिकेट परिचालक महोदय आये और उनसे मैंने कहा की में अपने मित्र के साथ जा रहा हूँ और आप जो भी किराया बनता है ले लीजिये और इनके साथ बैठने की व्यवस्था मैं स्वयं कर लूँगा |
नीम करोली बाबा ने राम दास को दर्शन दिए
उन्होंने बोला की जगह नहीं है आपको बैठे बैठे जाना पड़ेगा तो मैंने कहा की कोई बात नहीं और बात ख़तम हो गयीं |
कुछ देर बाद वो सज्जन आये और मुझसे बोले की आगे झाँसी से आपको सोने की भी जगह मिल जायेगी | झाँसी आने पर आप इस बर्थ पर सो जाइएगा | ट्रेन काफी लेट थी और 12 बजे झाँसी आ गया और मैं जाकर आराम से सो गया| सुबह होने पर उन सज्जन को लक्ष्मी नगर जाना था और मैं उनको उनका ऑटो करवा दिया और अपनी मेट्रो से अपने गंतव्य पर चला गया |
नीम करोली बाबा ने गंगा जल को दूध बना दिया
महाराज जी ने मुझे पूरे आराम से यात्रा करवाई |
महाराज जी कब कैसे किस पर कृपा कर देते हैं आप कभी नहीं जान सकते |
जय हो महाराज जी | नीम करोली बाबा जी तुम ही मेरे पालनहार तारणहार मेरे हनुमान मेरे राम | तुम्हारे रहते कभी कोई समस्या नहीं आ सकती इतना मैं जान चुका |
बस एक कामना हमेशा है जो आप जानते हैं और आप तथास्तु बोल चुके हैं | बस आपकी कृपा का इंतज़ार |
अटक जाए कोई काम बस जप ले राम का नाम | श्रीराम जय राम जय जय राम महाराज जी जय हो |
This channel/ site is not related in any way to any Ashram or Trust of Neem Karoli Baba Ji. It is our own activities that we want to reach to the devotees of Maharaj Ji and spread the devotion. We do not spread any kind of superstition nor sell any kind of garland amulets etc.
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