नीम करोली बाबा ने बद्रीनाथ धाम की यात्रा करवायी
सुधा जी ने आते ही कहा की हमको बद्रीनाथ धाम जाना ही है क्यूंकि वो केदारनाथ के दर्शन करके आ चुकी थीं और उनकी इच्छा थी बद्रीनाथ धाम जाने की | शासन के नियम अनुसार या तो दोनों डोज़ लग चुकी हों और सर्टिफिकेट हो अथवा नेगेटिव कोरोना की रिपोर्ट हो | और सबसे बड़ी बात वो ठण्ड जो नवम्बर माह में उन पहाड़ों में आने लगती है |
“महाराज जी अपने बच्चों की तरह हमारे लिए सब करते रहते हैं और हम हमेशा की तरह भूल जाते कमज़र्फ की तरह या एहसान फरामोश ज्यादा सही शब्द है | वो कभी कमी नहीं करते हैं|”
हम अस्पताल गए तो वहां लोग कहने लगे की आप डोज़ लगवा लीजिये अच्छा रहता है तो हमने कहा की अभी फिलहाल तो आप टेस्ट ही कर लो और रिपोर्ट दे दो जो भी है|मुझे १-२ दिन पहले से सर्दी लग चुकी थी, गले में खराश आ गयी थी और मैं Azithromycin 500mg per day की डोज़ पर वैसे भी था| वो लोग मुझे ख़राब तबियत में देखकर वैसे भी रिपोर्ट निकालने में घबरा से रहे थे | कोरोना नहीं निकला | द्वाराहाट और पांडूकेश्वर में सरकारी डॉक्टर और पुलिस टीम के कैंप थे जहाँ कि सघन चेकिंग हो रही थी और हम लोग डर रहे थे कहीं चेकिंग में ये लोग वापस ही न भेज दें |
नीम करोली बाबा ने खीर ग्रहण करी :https://babaneemkaroli.in/neem-karoli-baba-ate-kheer/
बस महाराज जी नीम करोली बाबा का ध्यान करते हुए हम लोग चलते चले गए और जब हम द्वाराहाट से निकल रहे थे तभी पुलिस ने हाथ देकर रोक लिया – पूछा की कहाँ जा रहे हैं ? हमने कहा बद्रीनाथ धाम – वो बोले की आपकी रिपोर्ट दिखाइए , जय बद्री विशाल – हमने रिपोर्ट दिखाई तो वहाँ जो डॉक्टर थे उन्होंने कहा की ये रिपोर्ट तो पुरानी हो गयी है – हमने कहाँ कल ही की है ७२ घंटे की रिपोर्ट तो वैध रहती है |
“जब तक वहां से बुलावा नहीं आता कोई जा नहीं सकता मैं स्टाम्प पर लिख कर दे सकता हूँ”- यह कहना था अनिल जी का जो जोशीमठ में २० वर्ष तक एक होटल में कार्यरत थे | हम जब बद्रीनाथ से वापस आ रहे थे तो कर्णप्रयाग में उनकी होटल में रुके थे |
लेकिन हम बद्रीनाथ क्या अपनी इच्छा से गए थे ?
नीम करोली बाबा के चरण चिह्न:https://babaneemkaroli.in/neem-karoli-baba-footprints-on-the-wall/
कुछ अलट पलट कर वो बोले की ठीक है चले जाइए आगे और बड़ा पुलिस का कैंप लगा हुआ है आपको कहीं वहां न रोक दें | उतने में वो पुलिस (उत्तराखंड होम गार्ड) महोदय बोले की मेरे मित्र को आगे तक जाना है क्या आप छोड़ देंगे तो हमने कहा कोई बात नहीं |
पता चला की वो गार्ड साहब के रिश्तेदार लोग ही बद्रीनाथ धाम के मुख्य पुजारी लोग थे और उन्होंने अपना नंबर दिया और बोले की आपको कोई भी दिक्कत हो तो मुझे फ़ोन कर देना आपको दर्शन में करवा दूंगा | हम लोग बहुत खुश हो गए कि बाबा ने पहुँचने से पहले ही व्यवस्था कर दी |
हमारी पहली कैंची धाम यात्रा पढ़िए:
लेकिन पांडूकेश्वर की मुख्य चौकी की बाधा अभी भी थी और हमारी रिपोर्ट भी ७२ घंटे से ऊपर हो जाने वाली थी क्योंकि हमको बीच में रुकते हुए जाना था |
जो सज्जन हमारे साथ बैठे थे वो सुबह से ही टुन्न थे लेकिन पहाड़ों में यह आम बात है और कोई इसका बुरा नहीं मानता है – इतनी ठण्ड में बहुत लोगों के लिए यह दवाई का काम करता है|
वो आगे एक जगह उतर गए और हम कर्ण प्रयाग के लिए निकल पड़े | शाम को ४ बजे के लगभग हम कर्ण प्रयाग पहुँच चुके थे और अभी उतना अँधेरा नहीं हुआ था |
हमसे सोचा जितना आगे जा सकते हैं चल देते हैं सुबह का समय बच जाएगा और हम गोपेश्वर से आगे पीपलकोटि तक जा पहुंचे, अँधेरा भी हो रहा था और रास्ता नहीं पता होने के कारण सोचा की यहीं रुकते हैं |
रात में हम पीपलकोटी में ही रुके और सुबह वहां से निकलने लगे | थोड़ी देर में हम जोशीमठ पहुँचने वाले थे जहाँ से आगे पुलिस का सबसे बड़ा कैंप था |
नीम करोली बाबा ने राम राम लिखा :https://babaneemkaroli.in/neem-karoli-baba-writes-ram-ram-in-the-book/
जोशीमठ में औली के लिए जो मार्ग कटता है वहीँ पर एक पुलिस वाले सज्जन ने हाथ दिया | हमने कहा आ जाइए – कहाँ तक जाना है, तो वे बोले की आगे जो चौकी है वहीँ तक जाना है मेरी ड्यूटी है वहां | हमने पूछा की वो मुख्य चौकी जहाँ कोरोना की जांच हो रही है तो वो बोले की हांजी वहीँ मेरी ड्यूटी है |
हम लोग थोडा सा परेशान हो गए लेकिन चलते गए और उनसे बात होती रही | वो २०१३ की आपदा के बारे में बताते रहे और आपस में बातचीत भी अच्छी हो गई | जब तक वो चौकी आई वो बोल दिए की आप लोग निकल जाइएगा आपको सर्टिफिकेट दिखाने की कोई ज़रुरत ही नहीं है, हमारी जैसे सांस में साँस आई |
चौकी आने पर वो बोले की आइये चाय पीकर जाइएगा तो हमने कहाँ की नहीं आते समय रुकेंगे नहीं तो मंदिर जाने में देरी हो जायेगी |
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि जिन लोगों को हमें चेक करना था वोही हमें छोड़ने के लिए पहले से तैयार बैठे हुए थे – क्या मेरे नीम करोली बाबा महाराज जी की कृपा के बिना ऐसा संभव भी था ?
कितने ही लोगों को पुलिस ने वापस भेज दिया था और लोग पता नहीं कितनी दूर-दूर से वहां आकर वापस हो गए थे कितनी निराशा उन लोगों को हुई होगी |
“जा पर कृपा राम की होये ता पर कृपा करे सब कोये” – इसका साक्षात् अनुभव हमको अब हो चुका था | जिसके साथ होता है वही उसको पूर्ण रूप से ग्रहण भी कर सकता है | जा भी तो हम राम जी के पास ही रहे थे तो महाराज जी को मार्ग सरल बनाना ही था लेकिन हमको सब हो जाने के बाद पता चला की सब करा धरा उनका था हमारा कुछ भी नहीं था |
नीम करोली बाबा हनुमान चट्टी मंदिर
पांडूकेश्वर से आगे हनुमान चट्टी है जहां हनुमान जी ने भीम का गर्व तोड़ा था | यहाँ नीम करोली बाबा जी ने एक हनुमान जी की मूर्ती स्थापित करवायी थी जिसकी कथा ऐसी है और सभी महाराज जी के भक्तों को पढ़नी चाहिए :-
“वृन्दावन आश्रम में महाराज जी के सम्मुख बैठी श्री माँ की दृष्टि एकाएक दीवार में टंगी एक तस्वीर पर पड़ गई जिसमें हनुमान जी हाथों में करताल लिये राम-नाम कीर्तन कर रहे थे। तभी वे बोल उठीं “महाराज ! आपने हर जगह हनुमान जी की विभिन्न मुद्राओं में कहीं गदा और पर्वत लिये, कहीं अहिरावण को पैरों के नीचे दबाये, कहीं पर हृदय में सीताराम के दर्शन कराते, कहीं पर वीर-मुद्रा में मूर्तियाँ स्थापित करवाई हैं, परन्तु कीर्तन करते हनुमान जी कहीं भी स्थापित नहीं करवाये ।”
महाराज जी तत्काल बोल उठे, “ऐसी मूर्ति हनुमान चट्टी में स्थापित करवा देंगे ।” (हनुमान चट्टी में ही गँधमादन पर्वत को जाते वक्त भीम को हनुमान जी ने द्वापर युग में दर्शन दिये थे ।) वर्षों पूर्व कहे बाबा जी के ये मनसा-वाक्य वर्ष १९६१ मे २२ अक्टूबर (सोमवार) को साकार हो गये !!
मद्रास के एक भक्त श्री अर्जुन दास आहूजा को (जिन्होंने बाबा महाराज के पूर्व में दर्शन कभी नहीं किये थे) श्री माँ ने महाराज जी के साथ हुई उक्त वार्ता सुनाई थी कभी।
नीम करोली बाबा ने कमला दीदी को सचेत करा :https://babaneemkaroli.in/neem-karoli-baba-sends-the-warning-to-kamla-didi/
तभी से आहूजा जी ने मन ही मन बाबा जी की इस वाणी को साकार रूप देने का संकल्प ले लिया था और माँ से आज्ञा प्राप्त कर उक्त कार्य सम्पन्न कर दिया हनुमान चट्टी में संकीर्तन-रत हनुमान जी की एक अत्यन्त रमणीक संगमरमर की मूर्ति प्रतिष्ठापित कर ।
अपनी वाणी तथा श्री माँ के प्रति इस भक्त की ऐसी निष्ठा देखकर महाराज जी ने भी अपना कौतुक कर दिया।
अक्टूबर माह की उस भीषण ठंड में, जब कि आस पास की चोटियाँ हिम से ढक गई थीं, महाराज जी के निष्ठावान भक्तों का उस सुदूर क्षेत्र हनुमान चट्टी में जमघट-सा लग गया।
तीन दिन के उस महोत्सव में मदहोश हुए बाल-वृद्ध, अतिवृद्ध, युवा-युवती द्वारा ‘हनुमान जी, बाबा जी, बद्रीनाथ जी और श्री माँ’ के जयकारों से आकाश मण्डल गुंजायमान होता रहा।
मनों की मात्रा में केसरिया हलुवा प्रसाद बँटता रहा आते-जाते सभी यात्रियों को सैकड़ों की संख्या में आये साधु-सन्तों ने और जनता ने सुबह-शाम भण्डारा प्रसाद पाया । एक अत्यन्त भव्य समारोह पूर्ण हवन-यज्ञ के साथ पूर्णाहुति हुई।
(बाबा जी महाराज के ऐसे सभी कार्य सदा ही तो वृहद् जन समुदाय को भण्डारा प्रसाद पवा कर ही सम्पन्न होते रहे – हो रहे हैं। होते रहेंगे।) अर्जुनदास जी ने ही इन समस्त शुभ कार्यों को बड़ी निष्ठा, कार्य कुशलता, भक्ति-भाव एवं तन-मन-धन अर्पित कर पूर्ण किया।
इस संदर्भ में एक अत्यन्त रोचक तथ्य यह है कि वर्षों पूर्व हनुमान चट्टी में निर्मित इस मंदिर में जो हनुमान मूर्ति प्रतिष्ठित थी वह स्वतः ही सिंहासन के एक किनारे पर स्थापित थी, मानो ‘अपने इस कीर्तन करते स्वरूप’ के प्रतिष्ठापन हेतु हनुमान जी पहले से ही केन्द्र में उनके लिये जगह छोड़े हुए थे !!
अतएव, उस प्राचीन मंदिर एवं उसमें स्थापित हनुमान जी को अपने इस नये स्वरूप को ग्रहण करने में कुछ अधिक इधर उधर करने की आवश्यकता न पडी !!
हमको वहां जाते समय इस मंदिर के दर्शन नहीं हुए जबकि यह मंदिर एकदम मेन रोड पर ही बना हुआ है – ये भी महाराज जी की लीला ही थी – जब जो आवश्यक होता है वैसा ही महाराज जी वैसा ही करते हैं | आपके हमारे सर फोड़ने से कुछ नहीं होता है |
हम नियत समय से पहले पहुँच गए थे और माना गाँव जो की भारत का अंतिम गाँव है वहां गए और वहीँ पर भोजन करा | फिर हम मंदिर गए और बहुत ही आराम से हमको दर्शन हुए और वो द्रश्य आज भी भूले नहीं भूलता है वैसे अभी सिर्फ एक महीना ही हुआ है | आज ०५-१२-२०२१ है |
हम दर्शन के बाद होटल वगैरह देख कर एक जगह रुक गए और सुबह नाश्ता करके वहां से ईश्वर का आत्मा से धन्यवाद देते हुए निकल गए |
बाबा ने सभी के लिए भरपेट भोजन की व्यवस्था करी:https://babaneemkaroli.in/the-chapatis-were-full-for-all/
जब हम वापस आ रहे थे तो हनुमान चट्टी पर हमको वो मंदिर दिखा और उस समय हमको ध्यान भी नहीं आया के यह वो ही मंदिर है किन्तु ऐसे ही हम मंदिर के सामने से निकले और हनुमान जी की मूर्ती देखी तो सीधा कैंची हनुमानगढ़ भुमियाधर काकडी घाट सब सामने आ गया |
हम नहाये हुए नहीं थे – शून्य से ४ डिग्री कम तापमान में नहीं नहाना एक बुद्धिमानी का ही कार्य कहलाता है |
तो हम मंदिर के अन्दर नहीं गए बाहर से ही दर्शन करे लेकिन मेरे मन में एक ललक रह ही गयी कि फिर से इस मंदिर में आना है |
वहां की फोटो हमने ली की जब भी नीम करोली बाबा जी की इस कृपा का वर्णन करेंगे तो सभी भक्तों को उस मंदिर के दर्शन तो हो ही जायेंगे | आप भी उस मंदिर के दर्शन कीजिये |
तो इस तरह मित्रों नीम करोली बाबा ने जैसे छोटे बच्चों को गोदी में ले जाते हैं वैसे ही हमको बद्रीनाथ धाम के दर्शन करवाए और अपने मंदिर के दर्शन भी करवाए |
और थोड़े दिन में हम ये तो याद रखेंगे कि बद्रीनाथ धाम हो आये लेकिन किसकी कृपा से ये भूल जायेंगे – ऐसा न हो इसलिए लिखकर आप सभी के साथ साझा भी कर लिया |
आप लोग अबकी बार जब भी बद्रीनाथ धाम जाएँ तो नीम करोली बाबा के इस मंदिर के दर्शन का लाभ भी अवश्य लें – अगर महाराज जी की मर्ज़ी हुई तो | नहीं तो जाते समय तो हमको भी यह मंदिर नहीं दिखा था |
जैसी महाराज जी की कृपा
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